एक जंगल है तेरी आंखों में राह भूल जाता हूं तू किसी रेल सी गुजरती है में किसी पुल सा थरथराता हूं – दुष्यंत कुमार

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फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो – राहत इंदौरी

हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया – जिगर मुरादाबादी

तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता, कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता, कभी तुम से थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से, मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता..! – कुमार विश्वास

हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और –मिर्ज़ा ग़ालिब

‌तुमसे मिला था प्यार,कुछ अच्छे नसीब थे, हम उन दिनों अमीर थे,  जब तुम करीब थे। – गुलज़ार साहब

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए –ख़ुमार बाराबंकवी

जब खिजां आएगी तो लौट आएगा वो भी, वो बहारों में जरा कम ही निकला करता है। –अहमद फ़राज़ 

कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए –क़तील शिफ़ाई

आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है –जाँ निसार अख़्तर